शनिवार, अक्तूबर 16, 2010

नारी... तुम केवल श्रद्धा हो

नारी..  इस सृष्टि में इश्वर की बनाई एक सर्व -श्रेस्ठ कृति..
संसार- सृष्टि  में तुम ब्रम्ह की सहयोगिनी
संतान के रूप में प्राण को आश्रय और पोषण देने वाली धविता ..
नारी तुम केवल श्रद्धा हो !

नारी.. माँ के रूप में संतान से निस्वार्थ प्रेम करने वाली
संस्कार और विचार से  पुल्लवित, पोषित करने वाली
इश्वर सामान अपनी करुणा बरसाने वाली कारुणि..  
नारी  तुम केवल श्रद्धा हो !

नारी..सहोदरी बनकर  सदा ही स्नेह लुटाने वाली..
एक श्रेष्ठ आलोचक,  एक  पथ-प्रदर्शक की भाति
सदा  ही भाई के दोषों को उजागर करने वाली प्रेक्षणी..
नारी तुम केवल श्रद्धा हो !

नारी.. बेटी के रूप में माँ- पिता को सर्वोच्च रखने वाली.. 
पिता के मान को अपना मान बनाकर जीने वाली 
दो- दो कुलों के मर्यादा की रक्षा करने वाली रक्षिणी..
नारी तुम केवल श्रद्धा हो !

नारी.. अर्धांगिनी के रूप में पति की सह-चरी  होकर.. 
हर्ष, विषाद में सदा ही उसका साथ देने वाली संगिनी 
जीवन- यज्ञ में पति धर्मं निभाने वाली धर्मिणी..
नारी तुम केवल श्रद्धा हो !

नारी..कभी प्रेयसी तो कभी मित्र  बन कर.. 
जीवन में प्रेरक- उर्जा का संचार करने वाली
जीवन को आनंद रूप बनाने वाली प्रेरणा...
नारी तुम केवल श्रद्धा हो !  


हे भारत की नारी..  हर अर्थ में पुरुष को पूर्ण करने वाली हे पूर्णा!

किस तरह तुम अपने संवेगों को छुपा लेती हो? कैसे सब कुछ सह लेती हो धरा की तरह ? कैसे बस दो बूंद आंसू  तुम्हारे   बड़े से बड़े दुःख को दूर कर देते है ? एक पल में कैसे सब सह लेती हो ?

हे आर्यवर्त  की नारी इतना सहज तो मात्र तुम्ही हो सकती हो!
शायद यही कारण है की पुरुष सदा तुम्हारा आश्रय लेता है , हलाकि पुरुष है न तो स्वाभाव तया तो वो इसे प्रकट नहीं करता
पर ध्रुव सत्य सा एक सत्य ये है की   
हर पुरुष कभी न कभी तुम्ही से प्रेरणा और संकल्प प्राप्त करता है ! फिर वो चाहे माँ के रूप में हो , बहन के रूप में हो, पत्नी के रूप में या प्रेमिका के रूप में ! इस कारण पुरुष की  श्रेष्ठता और सफलता असल में तुम्ही से उपजी है.. इस कारण हे नारी इश्वर के बाद तुम्ही सर्व-श्रेष्ठ कही जाती हो ! तुम जन्म दात्री हो तुम धैर्य, दया, करुणा, त्याग, तेज और शक्ति में पुरुष से निर्विवाद रूप से ऊपर हो इस कारण तुम पुरुष से  कही श्रेष्ठ हो !
इन गुणों से  ही तुम्हारा आदर है.. गर्व करो की इश्वर ने तुम्हे नारी बनाया उसने तुम्हे इस योग्य  पाया..तुम चाहो तो नर को नारायण बना दो.. और चाहो तो नारायण को भी  साधारण बना दो..असल में चुनाव तुम्हारा ही है श्रेष्ठे..

पूछो खुद से क्या नारी होना इतना सरल है ?
यह केवल नारी ही जानती है..  क्यूँ की  

......नारी तुम केवल श्रद्धा हो !!!! 

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