सोमवार, जुलाई 13, 2009

ये दस्तूर-ऐ-दुनिया

काश हम भी दस्तूर-ऐ-दुनिया निभाते ...
मिलते जब किसी से..
कुछ वादे जताते..
और फ़िर उसे भूल भी जाते ..

काश हम भी दस्तूर-ऐ-दुनिया निभाते ...
दोस्ती का करार होता किसी से अगर ..
कभी हम भी उनसे..
अदावत ही निभाते ..

काश हम भी दस्तूर-ऐ-दुनिया निभाते...
हमकदम, हमदर्द ,हमराज़ ..
कहते भी उन्हें ...
और हर एक राज़ भी ...
उन्ही से छुपाते...

काश हम भी दस्तूर-ऐ-दुनिया निभाते ..
सूरत ऐ "काफिर" कौन देखता है यहाँ ..
हम भी कभी ...
चेहरे पे चेहरा लगाते .. 
काश हम भी दस्तूर-ऐ-दुनिया निभाते ..

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