शनिवार, नवंबर 06, 2010

दोस्तों के नाम एक पत्र

गौरव... दोस्त मुझे माफ़ कर देना.. मुझे माफ़ कर देना मेरे यार... आज मैं तुमसे दूर हो गया हूँ | 
कल दीपावली थी.. मैं, ना तुमसे मिलने आया, ना बात की..एक दीपावली का संदेस तक नहीं भेजा तुम्हे|
मैं तुमसे मिलना चाहता था, बात करना चाहता था, बहुत कुछ था कहने के लिए... और उससे भी ज्यादा सुनने के लिए...
मैं तुम्हे सुनना चाहता हूँ... पर मैं तुम्हारे पास नहीं आ सका.. एक फोन भी मैं तुम्हे नहीं कर सका |
जानते हो क्यूँ ... चाह कर भी तुमसे बात नहीं की... कर सकता था पर एक भी मैसेज नहीं किया, पता है क्यूँ ??
क्यूंकि मैं.. मैं मनीष शुक्ला- " The great Friend of All time  जो मर भी जाये तो दोस्त और दोस्ती को नहीं 
छोड़ेगा" कहने वाला मैं.. अपने अहंकार से हार गया यार |  मेरा अहम् मेरे और तुम सब के बीच आ गया.. मेरे
' तथाकथित स्वभिमान ' ने मुझे कुछ नहीं करने दिया | मैंने कल दीपावली के पूरे दिन.. तुम्हे,
श्वेता जी, आनंद जी और 'उन्हें' भी बहुत बहुत याद किया... कल सारे दिन बहुत याद आये तुम सब लोग |
इसी चक्कर में कल मैं सारे दिन उदास रहा.. कही मन नहीं लगा.. तुम सब के बगैर जैसे दीपावली मेरे लिए थी ही नहीं |
जानते हो तुम्हारा मैसेज कल मेरे पास शाम 4:26 को आया.. और सच कहूँ
तो इसका इंतज़ार मैं सुबह से कर रहा था..;)
जब तुम्हारा नाम mobile screen पर पढ़ा तो इतना अच्छा लगा के बस बता नहीं सकता |
आखिर जिस नाम को मैं रोज अपने  मोबाइल स्क्रीन पर देखने का आदी था.. उसे कल
मैं पूरे 33 दिन और 21 घंटे के बाद अपने सेल  परदेख पाया.. ;) अच्छा तो लगेगा ही |
उसी समय मैंने सोचा " साले को अभी फुर्सत मिली है लड़कियां पटाने से..घर गया होगा बस्ती.. 
सब कुछ कर चूका तो अब मेरी याद आई".. गया था ना यार तू बस्ती.. की यही था ?? 
जब तेरा संदेस मिला तो मैंने सोचा reply कर दूं.. फिर सोचा मेरे उस "वचन" का क्या होगा .. जब मैंने ही 
कहा था - कभी बात ना करूँ तो बुरा मत मानना | तो मैं खुद से कैसे करूँ |
मेरे अन्दर वही अहंकार जाग उठता है " जब तक खुद को रोक सकूँगा रोकूंगा " यही पकड़ के बैठ जाता हूँ|
मैंने कल ही जाना की कभी- कभी अपने पर काबू पाना कितना मुश्किल होता है.. 


मैंने तुमसे महीनो से बात नहीं की कोई संपर्क नही रखा.. यूं ही बिना कारण बताये.. मैं अचानक
एक दिन तुमसे अलग हो गया.. और उसमे तुम्हारी कोई भी ग़लती नहीं थी... तुमने तो हमेशा
मेरा साथ दिया.. तब भी जब कोई नहीं दे पाया | और जब इसपर भी इतने दिनों के
बाद तुम्हारा मैसेज आया तो मैंने उसका भी कोई जवाब नहीं दिया | मैं कितना बुरा हूँ ना यार |
तुम भी जब सोचते होगे मुझे गलियां ही देते होगे पता है.. पूरा पागल है साला..पूरा Third gender है..
पता नहीं काहे फ़ोन क्यूँ नहीं करता है|
पता नहीं कहा है ? क्या कर रहा है ? कहा मर गया है साला ?? यही सोचते हो ना !! पता है.. पता है..
गौरव महान क्या सोचते है मेरे बारे में... ;)


यार जनता नहीं था इतना मुश्किल होगा.. सोच से ज्यादा तकलीफ होती है.. 
अंदाजा तो था की तकलीफ होगी..पर  दूर जाने पर इतनी पीड़ा होगी नहीं जनता था 3 अक्टूबर के बाद
से कोई दिन ऐसा नहीं गया है जब तुम सब भी मुझे याद ना आये हो| एक उनकी याद तो हमेशा ही
रहती है... पर तुम भी उसमे गुसपैठ कर लोगे, इसका अंदाज़ा नहीं था|
अब तो मैं दोस्ती करने से घबराता हूँ.. पहले दोस्ती होती है  अच्छा लगता है 
फिर जब उन्ही दोस्तों से दूर होना पड़े तो ? बाप रे.. बाप |
इसलिए मैंने किसी को कल दीपावली wish नहीं की |
डर सा लगा रहा दोस्ती शुरू ना हो जाए, और फिर मन भी तो नहीं किया |
देखो.. मैं दूर जाके दुखी भी हूँ.. और पास आकर चाहते हुए भी तुम्हे मनाऊंगा नहीं... 
पता नहीं कब तक ऐसा चलेगा !!
जानते हो,  तुम सब से अलग जाकर मैं खुद को सजा दे रहा हूँ.. जब मैं खुद से पूछता हूँ
मैं तुम सब से अलग क्यूँ रहूँ ? किसलिए ? तो जवाब आता है खुद को परेशान करो.. दुखी करो..
सजा दो खुद को | क्यूंकि मनीष तुम्हे दोस्ती निभानी नहीं आई.. अब इसका मज़ा भुगतो |
तुम इस लायक नहीं हो की किसी से दोस्ती करो..

कभी- कभी लगता है के सब से जाके माफ़ी मांग लूं..पर पता भी तो हो मैंने किया क्या है ?
ये हालत ही थे की आज हम अलग हो गए है... या शायद ऐसा लगता है |   
जो हालत है मुझे नहीं लगता की मैं तुम सब को कभी भी भूल पाऊंगा. .मुसीबत की तरह
हमेशा याद रहोगे तुम सब...  ;)
तब तक रुका रहूँगा... जब तक मेरा वक्त मुझे रोके रखेगा.. तुम लोगो के पास आने से | और
जिस दिन मैं खुद से हार गया तो उस दिन पाताल से भी खोज निकालूँगा तुम सब को...
याद रखना तुम सब मेरे दोस्त थे और हमेशा रहोगे |
पर एक बात बताओ तब तक मुझे भूल तो नहीं जाओगे ?? 
क्या मेरा इंतज़ार करोगे कभी ? मुझे याद रखोगे ?
इतना तो याद रहेगा ही ना की एक लड़का था जो जरुरत से ज्यदा सेंटी और टची टाइप था.. ;)


गौरव सिंह हम आपको भूल नहीं पायेगे यार... और किसी भी दोस्त को नहीं भूल सकूंगा यार...
पर अब किसी से दोस्ती भी नहीं करेंगे यार... अलग होना पड़े तो बड़ी मार लगती है दिल में...

1 टिप्पणी:

  1. आपके दोस्त के लिए sentiments देखकर अच्छा लगा। इश्वर करे आप दोनों की दोस्ती सदा बरकरार रहे।

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