रविवार, फ़रवरी 27, 2011

मेरे अनुभव

लगभग 9-10 महीने पुरानी घटना है.. मैं ट्रेन से जबलपुर से इलाहबाद जा रहा था..काम के सिलसिले में अक्सर आना जाना होता था.. सो हमेशा की तरह  उस दिन भी मैं अकेले ही यात्रा कर रहा था |
उस दिन ट्रेन में आम तौर से भीड़ कुछ ज्यादा ही थी..मुझे मेरी आरक्षित सीट तक आने में भी बड़े जनसमूह को पार करना पड़ा था |
सतना से एक नव-विवाहित जोड़ा हमारे डिब्बे में सवार हुआ |
ट्रेन में भीड़ काफी थी इस कारण उन दोनों को बैठने की जहा जो जगह मिली वो अलग-अलग बैठ गए |
वो महिला मेरे बगल में आकर बैठ गई, और उनके श्रीमान जी हमारी सामने वाली सीट पर बैठ गए | ये रात का सफ़र था इसलिए लोग उस समय सोने की तैयारी करने लगे थे | 
लगभग 11 बजे होंगे तभी हमारी बोगी में GRP (राजकीय रेलवे पुलिस) का रंगरूट सवार हुआ | देखने से ही पता चल रहा था की वो जनाब शराब के नशे में धुत होकर आये है |


उनके आते ही सबसे पहले मेरी ही  नज़रे उनसे दो-चार हो गई....कारण
मै अपनी बर्थ पर सबसे किनारे बैठा था | और दूसरी वजह की मेरे हाथ में मेरी वाकर स्टिक भी थी |
वो सीधे हमारे पास ही आ गए जैसे हम कोई सिलिब्रिटी हो.. और उन्हें हमारा आटोग्राफ लेना हो |
आते ही पुछा- अपना टिकट दिखाओ , कागज कहा है तुम्हारा  Handicapped Certificate .
इतने दुस्साहस पर मुझे गुस्सा आ गया | मैंने सख्त लहजे में कहा- जरा पीछे हट कर बात कीजिये
आप किस अधिकार से मेरा टिकट मुझसे मांग रहे है | आप  टी. सी. तो है नहीं |
और फिर भी आपको चाहिए तो बताइए क्या दू .. टिकट चाहिए टिकट दूंगा..  certificate चाहिए certificate दूंगा.. छड़ी चाहिए तो छड़ी दूंगा |मेरा व्यंग मेरे क्रोध से पूरित था.
पहले तो जंनाब को कुछ समझ नहीं आया |फिर उसने मेरे टिकट देखने का अभिनय किया | 
फ़ौरन बाद ही मेरी बगल में बैठी उस महिला पर अपनी वक्र दृष्टी डाली | अकेली जान कर उसने महिला से कुछ पूछे बिना ही उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी |


साफ़ था की वो नशे में होने का  Advantage लेने की कोशिश में था अब तक वहां  का वातावरण असहज हो चूका था | उस महिला की परेशानी उसके चहरे पर थी | उस समय वहा बहुत से लोग थे.. पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.. हैरानी की बात थी पर  सबसे बड़े आश्चर्य की बात की उस महिला के पति महोदय भी शांत बैठे थे |
साफ़ था की सब विवाद से बचना चाह रहे थे |ऐसा जब 10 मिनट तक चलता रहा.. तब मै जो पहले ही उसका  शिकार हो चूका था कहा- अब चलो यहाँ से तुम शोर मचा रहे हो |
वो तो जैसे तैयार ही था इसके लिए तुरंत बोला - तू क्या लगता है इसका.. हाँ बहन है |
वैसे महादेव का भक्त हूँ.. और ये मेरी माँ है |
मैंने कहा-अगर ये आपकी माँ है तो आपका बाप ये सामने बैठा है.. कह कर मैंने उनके श्रीमान जीकी तरफ इशारा किया |
उस तरफ देखे बिना वो मुझसे उलझ गया-कितने प्रतिशत विकलांग हो..हो भी या नहीं ? जानते हो  मानिकपुर में हो अभी ..अगर फेंक भी दूँ तुम्हे गाड़ी से तो पता भी  नहीं चलेगा | 
वो भी अपमे क्रोध के चरम पर था..
उसके ऐसे बोलते जाने और किसी के प्रतिरोध न करने से
मैं अजीब स्थिति में  था | मुझे बात अपमानजनक लगी मैंने बिना सोचे कहा - फेंक दो न, धमकी किसे देते हो |
प्रतिरोध से वो सकपकाया- उसे जैसे इस प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी |
वो तुरंत वहा से चलता बना |
तब अब तक जो सह-यात्री दर्शक भूमिका में थे..हरकत में आये और
मेरी वाक-पटुता की बात करने लगे | क्या जवाब दिए थे आपने बहुत सही कहा  
ऐसे लोगो को तो नौकरी से हटा देना चाहिए और उन पति महोदय को उपदेश सुनाये जाने लगे.. 
मेरा क्रोध अभी समाप्त नहीं हुआ था | मैंने सभी उपदेशियों से कहा -जाने दीजिये जब वो इनकी स्त्री का अपमान कर  रहा था तब कोई क्यूँ कुछ क्यूँ नहीं बोला ?
जब वो मुझे फेकने की बात कर रहा था तब आपमें से कोई क्यूँ नहीं बोला ?
आप सब किस के इंतज़ार में थे ?
और अब जब वो यहाँ नहीं है तब आप सब क्या साबित करना चाहते है ?
कैसे कोई इतना संवेदनहीन  हो जाता है.. और अब गाल बजाने से कोई अर्थ नहीं है |

मानिकपुर से इलाहाबाद तक के दो घंटे के रास्ते में किसी ने फिर कोई बात नहीं की |
वो पति-पत्नी मेरे साथ इलाहाबाद ही उतरे पर उसपर भी उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की |

उस दिन मेरे मन में बार-बार ये विचार आया की भारत जैसे भावना-प्रधान देश में ऐसे असंवेदनशील लोग भी है ? हममे क्या अपना कोई जस्बा बचा है |
इसलिए ही शायद नेता- अफसर मिलकर इस देश को खाए जा रहे है | अपराधी आम लोगो से ज्यदा सुरक्षित है | हमारी अपराध वृद्धी-दर संसार में पांचवे स्थान पर है | लोग देखकर भी नहीं देखते |
और हम ऐसे भारत को 2020 में महाशक्ति बनना चाहते है|
शायद हम बन भी जाए क्यूंकि हम भी अमेरिकियों -चीनियों की तरह सोचने लगे है अब -


“ BE PRECTICAL ALLWAYS & BE COOL DON’T GET EMOTIONAL IN ANY SENSES B’COZ AFTER THAT YOU’L GET ACT LIKE A FOOL “

पर क्या इस तरह हम अपनी देश की आत्मा बचा लेंगे ? क्या हम ये कर भी सकेंगे ?
और क्या ऐसा आचरण हमें शोभा देगा ?

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपने जो वाकया बताया , उसे पढ़कर मन दुःख से भर गया । लोग वास्तव में संवेदनहीन और स्वार्थी हो गए हैं । कहीं न कहीं डरपोक भी हो गए हैं । जिसके लिए आपने आवाज़ उठायी , उसने आभार तक नहीं जताया । बाकि बैठे भीरु लोगों की जमात का तो कहना ही क्या । आपका कहना सही है की अब भारतीय भी अमेरिकन्स की तरह ही सोचने लगे हैं । बस अपने काम से काम , कोई मरे या जिए ।

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  2. कोई बड़ी बात नहीं है ,भारत २०२० तक महाशक्ति बन सकता है मगर गुंडागर्दी और अपराध के क्षेत्र में. आखिर इस दिशा में तरक्की तो कर ही रहा है.आपने जो ट्रेन वाला उदाहरण दिया है उससे भी इसी बात के आसार नज़र आ रहे हैं.Dhany hai BHARAT AUR BHARATWASI.
    आप बहुत दिन बाद मेरे ब्लॉग पर आये , आभार.
    कृपा बनाये रक्खें.

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  3. आपका मौन अच्छा नहीं लगता । आपके विचारों का सदैव स्वागत है । होली की मंगलकामनाएं

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