शनिवार, अगस्त 08, 2009

किसे तलाश किया करते हो

किसे तलाश किया करते हो..
अकेले में क्या बात किया करते हो..

क्यूँ ये हालत ये माजरा क्या है..
सब है भीड़ में तुम ही तन्हा हुआ करते हों..

पुरानी सी शकल ये जो आईने में है..
रिश्ता अपना- उसका बस पूछा करते हों..

कभी यूँ भी हो के मिलो उससे..
जिसके साथ - साथ चला करते हो..

ढूंढोगे तो कोई मिल ही जाएगा..
घर का दरवाजा क्यूँ बंद रखा करते हो..

माना के सफ़र अकेले ही काट लोगे "काफिर"..
पर शायद किसी के साथ की  दुआ भी किया करते हो ..

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